Wednesday, February 17, 2010

एक ख्वाब जगाने आया था...........

पलकों के बंद दरवाज़े से,

एक ख्वाब जगाने आया था ।

बोला अब जग में सच होने वाला हु ,

ये एहसास जगाने आया था ।

निराशा की बेहोशी में ,

उम्मीद जगाने आया था ।

जो घुट कर थी जो टूट चुकी ,

कुछ पाने की वो प्यास जगाने आया था ।

दुनिया की दुनियादारी में जो भूली अपने ख्वाबो को ,

वो आया , मुझे जगाया , बतलाया

में उड़ने का तुझमें एक विश्वास जगाने आया था ........