पलकों के बंद दरवाज़े से,
एक  ख्वाब  जगाने  आया  था ।
बोला अब जग में सच होने वाला हु ,
ये  एहसास  जगाने  आया  था ।
निराशा की बेहोशी में ,
उम्मीद  जगाने  आया  था ।
जो घुट कर थी जो टूट चुकी ,
कुछ  पाने  की  वो  प्यास  जगाने  आया  था ।
दुनिया की दुनियादारी में जो भूली अपने ख्वाबो को ,
वो आया , मुझे  जगाया , बतलाया
में उड़ने का तुझमें एक विश्वास जगाने आया था ........