कुछ छूट रहा है,
जैसे दिल थोडा सा टूट रहा है,
आगे बढ़ते कदम कुछ निशा छोड़ रहे है ,
दम भरते अरमा नया आसमा ढूंढ रहे है,
पर दर्द है उन छूटते खुशाल लम्हों का,
बाहों में भरे उन आसुओ उन गमो का,
बीते लम्हे कुछ यादो का,
CCD में बिठाये उन पलों का,
उम्मीद से भरी उन आँखों का,
कॉलेज की सीढिया चढ़ती उन उखड्ती सासों का,
पोडियम को पकडे उन थरथराते हाथो का,
फ़ोन पे गोस्सिप करती उन बातो का,
GT पे चढ़ते उन कदमो का,
बीच बीच में आते रहते उन सदमो का,
जूनियर्स की मस्ती उस प्यार का,
छेड़ते चिढाते उस व्यवहार का,
अब छूट हा है साथ अब उन हमकदमो का........