पलकों के बंद दरवाज़े से,
एक ख्वाब जगाने आया था ।
बोला अब जग में सच होने वाला हु ,
ये एहसास जगाने आया था ।
निराशा की बेहोशी में ,
उम्मीद जगाने आया था ।
जो घुट कर थी जो टूट चुकी ,
कुछ पाने की वो प्यास जगाने आया था ।
दुनिया की दुनियादारी में जो भूली अपने ख्वाबो को ,
वो आया , मुझे जगाया , बतलाया
में उड़ने का तुझमें एक विश्वास जगाने आया था ........
12 comments:
deep thoughts ! loved it... :) do i need to repeat - u rock !!
@ ankit
Glad that u liked it...
Thanks a lottt for the comment...
soo vishvaas jaaga ya nahi...hmmm...true expression...
मॅडम आपकी अपॉइन्टमेन्ट मिल सकती है क्या?
मैं एक फिल्म डिरेक्ट करने जा रही हूं..क्या आप लिरिक्स-विरिक्स दे सकती है???? प्लीज...ना मत कहना,मेरा दिल टूट जायेगा।
माना के हम डिरेक्टर बडे नहीं पर कभी कबार हम भी तो 'ख्वाब' जैसी चीजे देखा करते है जी ;)
Too good!!!
@ priyanka
Vishwaas to hai aur rahega :)
Thanks 4 d comment dear...
@ Sakhi
Aapke liye toh waqt hi waqt hai ji, aur waise bhi aapka dil todne ki gusthaki hum kar sakte hai kya, hmmm?
Thanks 4 praising dear...
nice yaar ...
nice written
sab ke sab kavyitriya bole to poet ban gaye .....
spane jo hakikat mein nahi hota usska ehasas karwa jate hai ...
@vishnu
Thanks a lott 4 d comment dear...
N i agree with u completely...
Keep visiting...
Beautifully written poem :)
@Amit
Thank you :)
Bahut kuch sikha jati zindgi,hasa k rula jati hey zindgi, apneaap mein ek vishvas jaga jati hey zindgi..........So truly expressed by you..........uncanny expression by u hope u will continue in the same manner...........I myself inspired by your poem.
@varun
thanks a lot 4 d comment :)
Keep visiting....
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